पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें, कब करे, नियम
(Pashupatinath vrat vidhi)
पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें(Pashupatinath vrat vidhi) क्या नियम है
कब करना चाहिए, कब नहीं करना चाहिए, क्या विधि है
तथा क्या सावधानियां रखनी चाहिए
यह सब आपको इस लेख में मिलने वाला है ।
कई लोगों ने इसके बारे में गलत गलत नियम लिख रखे हैं चलिए जानते हैं सही नियम
पशुपतिनाथ व्रत के लाभ /Pashupatinath vrat ke Labh
इस व्रत को करने के अनेक लाभ है इस व्रत की महिमा आप तभी जान पाएंगे
जब आप इसे पूर्ण श्रद्धा तथा भाव के साथ समर्पित होकर इसे पूर्ण करेंगे
इस व्रतको करने से आपके रुके हुए कार्य आसानी से पूर्ण हो जाएंगे
तथा आपकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होती है।
इस व्रत के द्वारा यदि आप एक भी बार भगवान पशुपतिनाथ के चरणों में जाएंगे
तो भोलेनाथ सच्ची श्रद्धा से किए गए इस व्रत का फल अवश्य देंगे ऐसा भरने थे शिव महापुराण में
पशुपतिनाथ व्रत कब करना चाहिए/pashupatinath vrat kab Karna chahiye
इस पशुपतिनाथ व्रत की शुरुआत आप किसी भी सोमवार से कर सकते हैं।
इस व्रत में आवश्यकता नहीं होती है कोई तिथि देखने की
आप इससे शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष या फिर भोला अष्टक हो या कोई भी ताराअस्त हो
इसे आप कभी भी कर सकते हैं।
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पशुपतिनाथ व्रत कब नहीं करना चाहिए/pashupatinath vrat kab nhi Karna chahiye
भगवान पशुपतिनाथ इस संसार के समस्त प्राणियों, पशु पक्षी जीव आदि के नाथ हैं।
इसलिए वह कभी ऐसा नहीं चाहिए कि उनके भक्तों को कष्ट हो तथा बीमार बुजुर्ग (बीमार) तथा गर्भवती महिलाओं को नहीं करना चाहिए
पशुपतिनाथ व्रत किसे करना चाहिए/pashupatinath vrat kise nahi Karna chahiye
इससे पशुपतिनाथ व्रत को कोई भी स्त्री पुरुष कर सकता है।
स्त्री अपने मासिक धर्म के दौरान अपने परिवार के किसी भी स्नेही से पूजा करवा सकती है
यदि पूजा करने में असमर्थ है तो केवल व्रत भी रख सकती है।
पशुपतिनाथ व्रत की विधि, नियम /पशुपतिनाथ व्रत कैसे करें/pashupatinath vrat vidhi
- सर्वप्रथम सोमवार के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया से पूर्ण होकर नहाने के पश्चात पूजन की थाली तैयार करनी चाहिए।
- इस पूजन की थाली में अबीर ,गुलाल, लाल चंदन, पीला चंदन, अश्वगंधा, कुमकुम तथा अक्षत (बिना खंडित वाले चावल) हैं।
- लेकिन साथियों याद रहे कई मनुष्य अपनी इच्छा अनुसार धतूरा आंकड़ा तथा भांग भी रखते हैं ।
- यह सब उनकी इच्छा अनुसार रखते हैं ऐसा कोई नियम नहीं है भक्त जो भगवान को प्रेम से चढाएगा उन्हें स्वीकार्य होगा भगवान भोलेनाथ तो सिर्फ सच्चे मन तथा सच्ची श्रद्धा को ही स्वीकार करते हैं।
- इसलिए पूजा की थाली में एक लोटा जल (तांबे का लोटा) बेलपत्र रख ले तथा आपको यह अवश्य याद रहे कि
- जो सामग्री आपने थाली में रखी है उस ही सामग्री को आप को शाम की पूजा में उपयोग में लेना है सामग्री का निम्न उपयोग करें
- यदि आपके पास से बिल्वपत्र उपलब्ध नहीं हो पा रहा है तो मंदिर में रखे बेल पत्र को धोकर पुनः चढ़ा दे
आप सब मंदिर में जाने से पहले यह ध्यान रख ले
(pashupatinath vrat kaise kare)
कि पहला व्रत आप जिस मंदिर में कर रहे हैं बाकी व्रत भी उसी मंदिर में संपन्न होने चाहिए इसीलिए अपने आसपास के शिवालयों को भी प्राथमिकता देवें ताकि आसानी से वहां आप जा सके तथा पूजा संपूर्ण कर सके
पशुपतिनाथ व्रत की पूजा कैसे करें
- सर्वप्रथम मंदिर में जाकर सबसे पहले भगवान को प्रणाम करें तथा मन ही मन व्रत का संकल्प लें इसके पश्चात भगवान के आसपास थोड़ी सफाई करदे।
- इसके पश्चात शिवलिंग का जल से अभिषेक करें धीरे धीरे जल चढ़ावे तथा ओम नमः शिवाय मंत्र या फिर से श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप करें
- इसके बाद शिवलिंग को हल्के हाथों से साफ करें तथा फिर पूजन के पश्चात बिल्वपत्र अच्छे से चढ़ावे
- घर पहुंच कर पूजा की थाली को पूजा घर में रखदे
- तथा फिर प्रदोष काल में इसी पूजा की थाली के साथ मिठाई का प्रसाद तथा बिल्वपत्र रखें
- आप फिर प्रदोष काल में उसी शिव मंदिर में जाकर फिर से पूजा अर्चना करें तथा बिलिपत्र सही तरीके से चढ़ावे
- अब मिठाई के तीन हिस्से भोलेनाथ के सामने ही करें तथा 6 दियों में से 5 दिए मंदिर में ही जला कर रख देवें।
- अब मैं नहीं माना अपनी कामना करके प्रभु से प्रार्थना करें
- प्रसाद का तीसरा भाग तथा एक दिया घर पर वापस ले आए
- घर में प्रवेश इससे पहले उस दिए को दाएं हाथ के स्थान पर जलाकर वहीं पर रख देवें
- अब आप शाम के फल हार से पहले उस प्रसाद को खा लेवे याद रहे यह आपको किसी के साथ बांटना नहीं है। यह आपको अकेले ही खाना है।
- अब आपका पहला व्रत पूर्ण हुआ इसी तरह आपको अन्य सोमवार को भी व्रत करना है इसी विधि से।
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