शिव रुद्राष्टकम इन हिंदी। rudrashtakam lyrics in hindi
(rudrashtakam lyrics in hindi) शिव रुद्राष्टकम इन हिंदी,नमामि शमीशान निर्वाण रूपं अर्थ सहित
शिवरुद्राष्टकम गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित स्त्रोत है। जोकि रामचरितमानस में उत्तरकांड के दोहा 108 के पूर्व दिया गया है। यह 8 श्लोकों का स्त्रोत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है। यह रुद्राष्टक आपको हिंदी तथा अंग्रेजी दोनों में उपलब्ध होगा
रुद्राष्टकम इन हिंदी (shiv rudrashtkam)
नमामीशमीशान निर्वाण रूपं,
विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं,
चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम्॥
हिंदी में अर्थ
हे मोक्षरूप, विभु (vibhu), व्यापक ब्रह्म, वेद_स्वरूपम ईशान दिशा के ईश्वर भगवान शिवजी को मैं नमस्कार करता हूं।निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप शिव जी को मैं बार-बार नमस्कार करता हूं।
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं,
गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम्।
करालं महाकाल कालं कृपालुं,
गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
हिंदी में अर्थ
निराकार, ओंकार के मूल तुरीय वाणी, ज्ञान और इंद्रियों से परे कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु गुणों के धाम, संसार से परे परमेश्वर भगवान शिव को मैं नमस्कार करता हूं।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं,
मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा,
लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥
शिव रुद्राष्टकम (shiv rudrashtkam Hindi)
जो हिमाचल के समान गौरव वर्ण और गंभीर है जिनके शरीर में करोड़ों काम देवों की ज्योति एवं शोभा पाती है जिनके सिर पर पवित्र नदी गंगा जी विराजमान है जिनके ललाट (केश) पर द्वितीया का चंद्रमा और गले में सर्प (सांप) सुशोभित है।
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं,
प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं,
प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
हिंदी में अर्थ
जिनके कानों में कुंडल शोभा पा रहे हैं जिनके सुंदर भृकुटी और विशाल नेत्र हैं जो प्रसन्न मुख नीलकंठ और दयालु है जो सिंह चर्म का वस्त्र धारण किए हैं और मुंडमाल पहने हैं उन सबके प्यारे और सब के नाथ शिव शंकर को मैं भजता हूं।
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं,
अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं,
भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
हिंदी में अर्थ
प्रचंड, श्रेष्ठ तेजस्वी, परमेश्वर, अखंड, अजन्मा, करोड़ों सूर्य के समान प्रकाश वाले तीनों प्रकार के शूल लोग को निर्मूल करने वाले हाथ में त्रिशूल धारण किए भाव के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकर को मैं बार-बार भेजता हूं।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी,
सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी,
प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
रुद्राष्टकम इन हिन्दी (rudrashtkam in hindi)
हिंदी में अर्थ
कलाओ से परे, कल्याण स्वरूप, पृलय करने वाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानंदघन, मौह हरण वाले, मन को मथ डालने वाले हे प्रभु, प्रसन्न होइए है प्रसन्न होइए है।
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं,
भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं,
प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
हिंदी में अर्थ
जब तक मनुष्य श्री पार्वती जी के पति के चरण कमलों को नहीं भजते तब तक उन्हें ना तो इस लोक में ना ही परलोक में सुख शांति मिलती है और अनेक कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अतः है समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले महाप्रभु प्रसन्न हो जाएं।
न जानामि योगं जपं नैव पूजा,
न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं,
प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो॥
हिंदी में अर्थ
मैं न तो योग जानता हूं,ना जप और ना ही पूजा। है शंम्भो में तो सदा सर्वदा आपको ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभु बुढ़ापा तथा जन्म के दुख समूह से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से मेरी रक्षा कीजिए। हे शंभू, मैं आपको नमस्कार करता हूं।
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।।
जो भी मनुष्य इस स्त्रोत को भक्ति पूर्वक पड़ता है उन पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।
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